इंजाम

तेरी याद में खुद से ख़फ़ा रहने लगी हु,

किस किस को समझाऊँ क्यू उनसे जुदा होने लगी हु,

छोटी छोटी बातो पे अपना आपा खोने लगी हु,

तन्हाइयो में छुप छुप के रोने लगी हु,

पता है तेरी बेवफाई के असर में जीने लगी हु,

तुमसे हु खफा पर इंजाम खुद पे लेने लगी हु,

तेरी याद में खुद से खफा रहने लगी हु,

किस किस को समझाऊँ क्यू उनसे जुदा होने लगी हु।

नही समझना तुम इसे मेरी कमजोरी,

तेरी चिंगारियों को आग बनाने लगी हु,

नही पता जिंदगी को किस तरफ ले जाने लगी हु,

तेरी बेवफाई को अपनी तक़दीर समझने लगी हु,

तेरी याद में खुद से खफा रहने लगी हु,

किस किस को समझाऊ क्यू उनसे जुदा होने लगी हु।

तिरंगे का कुछ कहना है

इस तिरंगे का कुछ कहना है,

इस देश में बहुत कुछ बदलना है।

हम आजाद है पर नही अपने सोच से,

इस देश में सबको खुश रहना है,

इस तिरंगें का कुछ कहना है।

बहुत हुआ दुसरो की जंदगी बर्बाद करना अपनी छोटी सोच से,

अब सबको अपने मन का करना है।

घुट घुट के नही मरना, अब खुशि से जीना है,

इस तिरंगे का कुछ कहना है।

जाती-पाती के वजह से एक दूसरे से ना अलग होना है,

रंग,रूप,वेश,भुसा से एक दूसरे को ना चुनना है,

साथ मिलके जीना है और साथ ही मरना है,

इस तिरंगे का कुछ कहना है।

फर्क

यु ना साबीत कर की तुझे भी गम है मुझे खोने से,

क्युकि तुझे फर्क नही पड़ता मेरे रोने से,

तेरे ही हाथ में था बचाना मुझे तनहा होने से,

मगर नही लड़ पाया तू दुनिया के एक कोने से।

हो सके

पल पल मुझको तड़पाया है ,

हर पल का हिसाब करो,

हो सके तो मुझे,

हर गुजरे वक्त प्यार करो।

हक़

तू मेरा दिल तोड़ गया,

इस कदर मुझको छोड़ गया,

क्या करू मैं तुझसे शिकायत,

क्युकि ये हक़ भी तू खो गया।

मौसम

खुशियो का मौसम आया था,

तूने मुझे जब अपनाया था।

गम का बादल छाया था,

तूने मुझे जब ठुकराया था।

इन खुशियो और गम के बीच,

तूने मुझे एक नाकाम ख्वाब दिखलाया था।

यकीन

है रंग तो बहुत दुनिया मे,

पर नही मेरे जिंदगी में कही।

है ख्वाहिस् तो बहुत ज़माने में,

पर नही मेरे दिल में कही।

यक़ीन दिला दिया तूने मुझे,

है प्यार तो बहुत हवाओं मे,

पर नही मेरे क़िस्मत में कही।

तूने जो किया

अब तेरे प्यार की मैं दुहाई नही दे सकती,

जो तेरे बारे में बुरा बोले उसको सफाई नही दे सकती,

क्युकि जो तूने किया है मेरे साथ,

उसको मैं अपनी वाहवाही नही दे सकती ।

हवाएँ

ये हवाएँ एक गीत गाती है,

मेरा नाम ही गुनगुनाती है,

तुझे गिर के उठना ही होगा,

ये एक पैगाम लाती है।

मेरी खो गयी मुस्कुराहटों का,

याद वो दिलाती है।

ये हवाएँ एक गीत गाती है,

मेरा नाम ही गुनगुनाती है।

काबिल

तू मेरे प्यार के काबिल नही,

तू और मैं हम हो जाये ऐसा कोइ दिन नही,

तुझे भूल जाना मुमकिन नही,

पर तुझे याद रखने की कोई वजह नही।