अब ख़ामोशी में खुद से बात करना ना अच्छा लगता,
यु नजरे फेर लिए बिना मुझसे मुलाकात किए,
अब हर पल तुझको याद करना ना अच्छा लगता,
यु छोड़ के चले गए बिना मुझपे ऐतबार किए,
अब तेरा इंतजार करना ना अच्छा लगता।
अब ख़ामोशी में खुद से बात करना ना अच्छा लगता,
यु नजरे फेर लिए बिना मुझसे मुलाकात किए,
अब हर पल तुझको याद करना ना अच्छा लगता,
यु छोड़ के चले गए बिना मुझपे ऐतबार किए,
अब तेरा इंतजार करना ना अच्छा लगता।
आज तेरी जिक्र करने बैठे तो सुबह से शाम हो गयी,
ना समझ में आया कैसे करे सुरवात उन यादो का,
जिसमे जिंदगी मेरी खाक हो गयी।
कोई पूछे किस कदर तूने मुझे तड़पाया तो,
मेरी कविता उसे सुना देना।
कोई पूछे किस कदर मैंने दिल लगाया तो,
मेरी कविता उसे सुना देना।
कोई पूछे किस कदर मैंने तुझे अपना बनाया तो,
मेरी कविता उसे सुना देना ।
कोई पूछे किस कदर तूने मुझे ठुकराया तो,
मेरी कविता उसे सुना देना।
रात-रात भर यु जाग रहे है,
शायद अपना अकेलापन इन अंधेरो से बाट रहे है।
कभी डरते थे इन अंधेरो से,
आज इन्ही को अपनी दास्ताँ सुना रहे है।
इन खामोश लम्हों में,
खुद को ही तड़पा रहे है।
रात – रात भर यु जाग रहे है,
शायद अपना अकेलापन इन अंधेरो से बाट रहे है।
अब तो समझ नही आता,
इन शब्दों को पीराउ कैसे।
जो तूने गम दिया,
उसे भुलाऊँ कैसे।
ये अंधकार जो मेंरे नाम किया,
उसे मिटाऊँ कैसे।
अब तो समझ नही आता,
इन शब्दों को पीराउ कैसे।