तेरे लिए

अब तक छुप छुप के आँशु बहाती हु,

रो रो के आँखे सुजाती हु,

पर लोगो के सामने मुस्कुराती हु,

दिल ही दिल में तुझसे प्यार करती हु,

पर खुद से भी ये बात मैं छुपाती हु,

अब तक छुप छुप के आँशु बहती हु।

तेरी बेवफ़ाई के आगोश में जलती हु,

पर तेरे आने का इन्तेजार भी करती हु,

तुझे कभी माफ़ ना करने के फैसले मैं करती हु,

पर सिर्फ और सिर्फ तुझे ही पाना चाहती हु,

अब तक छुप छुप के अंशु बहाती हु।

सोचती हु क्यू अब भी मैं तुझसे प्यार करती हु,

जो मुझे अपनाने से ड़र गया उसपे ही क्यू मरती हु,

अंदर ही अंदर से तड़पती हु,

तुझसे मिलने को तरसती हु,

अब तक छुप छुप के अंशु बहाती हु,

रो रो के आँखे सुजाती हु।

Happy birthday dear….

अंतिम कविता।

दुनिया के सामने लिखना छोड़ चुकी हु मैं,

अपने अश्को को बाटना छोड़ चुकी हु मैं।

तू गया था मुझे कुछ उम्मीद देके,

अब तेरा इन्तेजार करना छोड़ चुकी हु मैं।

दिल की बातो को बयां करना छोड़ चुकी हु मैं,

दुनिया के सामने लिखना छोड़ चुकी हु मैं।

चला गया तू मुझे हर बार गम देके,

अब तुझपे ऐतबार करना छोड़ चुकी हु मैं।

खुद से सवाल करना छोड़ चुकी हु मैं,

तेरे बारे में बात करना छोड़ चुकी हु मैं।

लफ़्ज़ों पे तेरा नाम लाना छोड़ चुकी हु मैं,

दुनिया के सामने लिखना छोड़ चुकी हु मैं,

अपने अश्को को बाटना छोड़ चुकी हु मैं।

ना अच्छा लगता

अब ख़ामोशी में खुद से बात करना ना अच्छा लगता,

यु नजरे फेर लिए बिना मुझसे मुलाकात किए,

अब हर पल तुझको याद करना ना अच्छा लगता,

यु छोड़ के चले गए बिना मुझपे ऐतबार किए,

अब तेरा इंतजार करना ना अच्छा लगता।

खाक

आज तेरी जिक्र करने बैठे तो सुबह से शाम हो गयी,

ना समझ में आया कैसे करे सुरवात उन यादो का,

जिसमे जिंदगी मेरी खाक हो गयी।

मेरी कविता

कोई पूछे किस कदर तूने मुझे तड़पाया तो,

मेरी कविता उसे सुना देना।

कोई पूछे किस कदर मैंने दिल लगाया तो,

मेरी कविता उसे सुना देना।

कोई पूछे किस कदर मैंने तुझे अपना बनाया तो,

मेरी कविता उसे सुना देना ।

कोई पूछे किस कदर तूने मुझे ठुकराया तो,

मेरी कविता उसे सुना देना।

अँधेरा

रात-रात भर यु जाग रहे है,

शायद अपना अकेलापन इन अंधेरो से बाट रहे है।

कभी डरते थे इन अंधेरो से,

आज इन्ही को अपनी दास्ताँ सुना रहे है।

इन खामोश लम्हों में,

खुद को ही तड़पा रहे है।

रात – रात भर यु जाग रहे है,

शायद अपना अकेलापन इन अंधेरो से बाट रहे है।

 

समझ

अब तो समझ नही आता,

इन शब्दों को पीराउ कैसे।

जो तूने गम दिया,

उसे भुलाऊँ कैसे।

ये अंधकार जो मेंरे नाम किया,

उसे मिटाऊँ कैसे।

अब तो समझ नही आता,

इन शब्दों को पीराउ कैसे।

 

मैं और तू

मैं रोती रही, तू रुलाता रहा,

मैं तड़पती रही, तू तड़पाता रहा,

मैं खामोश रही, तू गुनगुनाता रहा,

मैं तन्हा रही, तू दिल लगाता रहा,

मैं जागती रही, तू जगाता रहा,

इस दिल में आग यु लगाता रहा,

मैं सहम सी गयी, तू मुस्कुराता रहा,

मैं याद करती रही, तू उनको दफनाता रहा,

मैं रोती रही, तू रुलाता रहा ।

फर्क चुनने का।

मैंने तुझको चुना,तूने चुना सिर्फ मेरी यादे,

तू खुद में व्यस्त रहा,मैं करती रही तेरी फरियादै,

मैंने प्यार किया,तूने की सिर्फ मुलाकाते,

मैं घुटती रही,तू देता रहा तारीखे,

मैंने तुझको चुना,तूने चुना सिर्फ मेरी यादें।

खाली

अब तो पन्ने भी खाली पड़ने लगे है,

मेरे जज़्बात मेरे दिल में ठहरने लगे है,

तेरी बेवफाई के आग़ोश जलने लगे है,

दिल में घाव गहरे पड़ने लगे है,

अब तो पन्नें भी खाली पड़ने लगे है।