भरोसा August 28, 2019 / poemsofkavya जीने की कोई चाह ना बची, मरने का कोई इरादा नहीं.. मुकम्मल जिसने दी है जिदंगी, उस पर अब भरोसा ही सही । Share this:TwitterFacebookLike Loading... Related